वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनियों ने भी मीडिया के लिए चुनौती पेश की
मुंबई। कोविड - 19 से उपजे हालात को लेकर मीडिया और मनोरंजन उद्योग भी गहरे संकट का सामना कर रहा है और इस संकट से उबरने में मीडिया-मनोरंजन इंडस्ट्री को लम्बा वक़्त लगेगा। मार्केटिंग कंपनी केपीएमजी के अनुसार कोरोना वायरस संकट के समाप्त होने के बाद भी कमजोर अर्थव्यवस्था और कम खपत से विज्ञापन खर्च पर असर पड़ेगा, जिससे मीडिया उद्योग, ख़ास तौर पर प्रिंट मीडिया को अनेक दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की थी और फिर आज ही इसे 3 मई तक और बढ़ाने का एलान कर दिया है।
प्रिंट मीडिया को इंटरनेट के जरिये सीधे ग्राहकों को वीडियो सेवा देने वाली (अमेजन, नेटफ्लिक्स आदि) जैसी इकाइयों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। प्रिंट मीडिया के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि यह क्षेत्र विज्ञापन पर काफी निर्भर है। कंपनी ने प्रकाशकों को मजबूत डिजिटल उत्पाद तैयार करने को सुझाव दिया है। वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं देने वालों के अलावा ऑनलाइन गेमिंग संकट में भी लाभ में हैं।
कोरोना वायरस और उसकी रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन का असर मीडिया व मनोरंजन उद्योग पर भी पड़ा है तथा आने वाला समय उनके लिये और कठिनाई भरा हो सकता है। परामर्श कंपनी ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के समाप्त होने के बाद भी कमजोर अर्थव्यवस्था और कम खपत से विज्ञापन खर्च पर असर पड़ेगा। केपीएमजी के अनुसार इस कठिन समय में डिजिटल मीडिया की खपत बढ़ना एक अच्छी खबर है लेकिन सिनेमा और कार्यक्रम आधारित खंडों को स्थिति सामान्य होने के लिये लंबे समय तक इंतजार करना होगा। लॉकडाउन से बहुत पहले महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने संक्रमण पर लगाम लगाने के लिये सिनेमाघर पूरी तरह से बंद कर दिये थे। अगर यह संकट समाप्त भी हो जाता है तो भी इस क्षेत्र को सामान्य स्थिति में आने में लंबा समय लगेगा। परामर्श कंपनी ने कहा कि मीडिया और मनोरंजन उद्योग क्षेत्र में पिछले पांच साल से सालाना 11.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है तथा यह 2018-19 में 1.63 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। केपीएमजी ने क्षेत्र पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था की कमजोर स्थिति और कम घरेलू खपत से विज्ञापनों पर व्यय को लेकर दबाव रहेगा।’’ रिपोर्ट में टीवी के बारे में कहा गया है कि इसके दर्शकों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन उस अनुपात में विज्ञापन आय नहीं बढ़ी है।