डीटीएच के लिए लाइसेंस अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाएगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से संबन्धित दिशा-निर्देश में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इस निर्णय की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
I. डीटीएच के लिए लाइसेंस वर्तमान 10 वर्ष की अपेक्षा अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाएगा।
II. लाइसेंस शुल्क को जीआर के 10 प्रतिशत से एजीआर के 8 प्रतिशत तक संशोधित किया गया है। जीआर से जीएसटी को घटाकर एजीआर की गणना की जाएगी।
- III. लाइसेंस शुल्क वर्तमान में वार्षिक आधार के स्थान
पर अब त्रिमासिक आधार पर इकट्ठा किया जाएगा।
- IV. डीटीएच संचालकों को उनके द्वारा दिखाए जाने वाले कुल
अनुमति प्राप्त प्लेटफॉर्म चैनलों की क्षमता से अधिकतम 5 प्रतिशत के संचालन को अनुमति दी जाएगी। एक डीटीएच संचालक से प्रति
पीएस चैनल के लिए 10,000 रुपये का नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण
शुल्क लिया जाएगा।
V.
स्वैच्छिक आधार पर डीटीएच संचालकों के
बीच बुनियादी ढांचे को साझा करने की इच्छा रखने वाले डीटीएच संचालकों को डीटीएच
प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों की ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम को साझा करने की अनुमति दी
जाएगी। टीवी चैनलों के वितरकों को अपनी ग्राहक प्रबंधन प्रणाली (एसएमएस) और
कंडीशनल ऐक्सेस सिस्टम (सीएएस) आवेदनों के लिए समान हार्डवेयर को साझा करने की
अनुमति दी जाएगी।
- VI. मौजूदा डीटीएच दिशा-निर्देशों में 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को समय-समय पर संशोधित
एफडीआई के अनुसार सरकार की वर्तमान (डीपीआईआईटी) नीति के अनुरूप संरेखित किया
जाएगा।
VII.
संशोधित डीटीएच दिशा-निर्देशों के अनुरूप
निर्णय प्रभावी होगा और इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा।
प्रस्तावित कटौती का
अभिप्राय लाइसेंस शुल्क व्यवस्था को दूरसंचार क्षेत्र के अनुकूल बनाना है। यह अंतर
डीटीएच सेवा प्रदाताओं को विस्तारित अभियानों में और अधिक निवेश और इसके फलस्वरूप
लाइसेंस शुल्क के नियमित भुगतान में उन्हें और सक्षम बना सकता है। प्लेटफॉर्म
सेवाओं के लिए पंजीकरण शुल्क से करीब 12 लाख रुपये
के राजस्व सृजन की संभावना है। डीटीएच संचालकों के द्वारा बुनियादी ढ़ांचे को साझा
करने से दुर्लभ उपग्रह संसाधनों का उपयोग और कुशल तरीके से करते हुए ग्राहकों के
द्वारा अदा की जाने वाली शुल्क लागतों को कम किया जा सकता है। वर्तमान एफडीआई नीति
को अंगीकृत करने से देश में अतिरिक्त विदेशी निवेश लाया जा सकेगा।
डीटीएच अखिल भारतीय स्तर पर
संचालित है। डीटीएच क्षेत्र एक अत्यधिक रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। यह सीधे तौर पर
डीटीएच संचालकों को रोजगार देने के साथ-साथ कॉल सेंटरों में कार्यरत कार्मिकों के
अलावा जमीनी स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी बड़ी संख्या में इन्सटॉलरों को
रोज़गार प्रदान करता है। दीर्घकालीन लाइसेंस अवधि और नवीनीकरण पर स्पष्टता के
साथ-साथ सरल एफडीआई सीमा जैसे संशोधित डीटीएच दिशा-निर्देशों से स्थिरता की
निष्पक्ष स्थिति और डीटीएच क्षेत्र में नए निवेशों के अलावा रोज़गार अवसरों को
सुनिश्चित किया जा सकेगा।