किसान आंदोलन को मिला अंतरराष्ट्रीय सितारों का समर्थन
- ब्यूरो रिपोर्ट -
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे
किसानों का कई देशों के सांसदों, संगीतकारों, अभिनेताओं और ऐक्टिविस्टों
ने समर्थन किया है। इनमें स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग और अंतरराष्ट्रीय
पॉप-स्टार रिहान्ना शामिल हैं।
मंगलवार शाम रिहान्ना ने किसानों के धरना स्थलों
पर सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिए जाने के बारे में ट्वीट कर कहा,
"हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं"? उसके कुछ घंटों
बाद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ युवाओं का आंदोलन खड़ा करने वाली ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग
ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने के बारे में ट्वीट किया। फिर एक के बाद एक
कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों और संस्थानों ने किसानों के आंदोलन पर ट्वीट कर किसानों
के अपना समर्थन व्यक्त किया।
इनमें अमेरिकी अभिनेता जॉन क्यूजैक, ब्रिटेन के सांसद
तनमनजीत सिंह, ब्रिटेन की ही एक और सांसद क्लॉडिया वेब, अमेरिकी अधिवक्ता
और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, कनाडा की यूट्यूबर
लिली सिंह, यूगांडा की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट वनेसा नकाते, अंतरराष्ट्रीय
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच, अमेरिकी पर्यावरण ऐक्टिविस्ट
जेमी मारगोलिन जैसी हस्तियां शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने रिहान्ना को उनके
समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और यह उम्मीद जताई कि इससे उनके आंदोलन के बारे में आम
लोगों में जानकारी फैलेगी। इस बीच किसान आंदोलन पर संसद के दोनों सदनों में भी सरकार
और विपक्ष के बीच गतिरोध छिड़ गया है। सरकार किसानों के प्रदर्शन पर संसद में 15 घंटों
की चर्चा कराने को तैयार हो गई है। चर्चा शुक्रवार को कराने का निर्णय लिया गया है
लेकिन विपक्ष चर्चा तुरंत शुरू कराना चाह रहा है।
दूसरी तरफ दिल्ली की सीमाओं पर सरकार द्वारा
लगाए गए तरह तरह के बैरिकेडों से किसान नाराज हैं। सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह की घेराबंदी
करके सरकार किसानों से बातचीत को कैसे आगे बढ़ाएगी। किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि
26 जनवरी की घटनाओं के संबंध में हिरासत में लिए किसानों को भी रिहा किया जाए। उधर
दिल्ली पुलिस ने पंजाबी अभिनेता और राजनीतिक कार्यकर्ता दीप सिद्धू को खोजने के प्रयास
भी शुरू कर दिए हैं।
पुलिस ने सिद्धू के बारे में जानकारी देने
के लिए एक लाख रुपयों के इनाम की घोषणा की है। किसान संगठनों का आरोप है कि सिद्धू
ने कुछ किसानों को बरगला कर 26 जनवरी की अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया। सिद्धू पर बीजेपी
के इशारे पर किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा होने के भी आरोप लगे हैं, हालांकि
बीजेपी कह चुकी है कि सिद्धू अब पार्टी के साथ नहीं हैं।