'कम्युनिकेशन टुडे' ने पूरा किया 25 साल का सफ़र, मीडिया शिक्षा की 100 वर्षों की यात्रा पर विशेषांक
- ब्यूरो रिपोर्ट -
जयपुर। 'हालांकि देश की नई शिक्षा नीति में मीडिया शिक्षण का कहीं कोई
जिक्र नहीं किया गया है,
लेकिन देश में विश्वविद्यालय स्तर
पर मीडिया शिक्षा के सिस्टम ने एक सदी का सफ़र पूरा कर लिया
है। इससे ज़ाहिर होता है कि हमारे शिक्षाविदों ने देश में जनसंचार और पत्रकारिता शिक्षा
को कितनी अहमियत दी है। और वर्तमान दौर में तो पत्रकारिता शिक्षण का माहौल और भी बेहतर
बनाने की ज़रूरत नज़र आती है,
क्योंकि आज के समय में पत्रकारिता बहुत बदल गई है,
इसलिए पत्रकारिता शिक्षा में भी बदलाव आवश्यक
है।' जाने-माने मीडिया विशेषज्ञ
प्रो. संजीव भानावत ने यह बात आज एक खास मुलाक़ात मे कही। प्रो. संजीव भानावत पिछले 25 वर्षों से मीडिया जर्नल 'कम्युनिकेशन टुडे' का प्रकाशन कर रहे हैं। ऐसे समय में जबकि हालात और वक़्त की आँधी
में बड़े-बड़े मीडिया घराने ध्वस्त हो रहे हैं या अपने मूल्यों को तिलांजलि देकर बाज़ार
के आगे नतमस्तक हो रहे हैं,
ऐसे में 25 वर्षों से जारी 'कम्युनिकेशन टुडे' का सफ़र न सिर्फ उम्मीदें जगाता है, बल्कि घनघोर तूफ़ानों का सामना करने वाले दीये
की कहानी भी याद दिलाता है।
मीडिया जर्नल 'कम्युनिकेशन टुडे' के संपादक प्रो. संजीव भानावत
'कम्युनिकेशन टुडे' ने अपने रजत जयंती वर्ष के अवसर पर भारत में मीडिया शिक्षा की एक सदी की यात्रा पर दो महत्वपूर्ण विशेषांकों का प्रकाशन किया है। 'भारत में मीडिया शिक्षा के 100 वर्ष' पर केंद्रित इन विशेषांकों में मीडिया शिक्षा की एक शताब्दी का लेखा-जोखा और उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों के संदर्भ में शोध परक जानकारी प्रकाशित की गई है। जर्नल के संपादक प्रो. संजीव भानावत ने बताया कि पत्रिका के जनवरी से मार्च और अप्रैल से जून के दो अंकों में भारत में मीडिया शिक्षा के 100 वर्ष तथा मीडिया शिक्षा पर आलोचनात्मक लेखों का संकलन किया है।
'कम्युनिकेशन टुडे' के ये विशेषांक हमें
बताते हैं कि देश में विश्वविद्यालय
स्तर पर मीडिया शिक्षा की आवश्यकता को लगभग एक सदी पहले ही महसूस कर लिया गया था। सामान्यतः
यह माना जाता रहा है कि वर्ष 1920 में अदयार विश्वविद्यालय, चेन्नई में डॉ एनी बेसेंट के प्रयत्नों से कला संकाय के अंतर्गत
पत्रकारिता का पहला औपचारिक पाठ्यक्रम शुरू किया गया था। हालांकि तमिलनाडु सेंट्रल
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी रविंद्रन का यह मानना है कि पत्रकारिता का पहला पाठ्यक्रम
1917 में नेशनल कॉलेज ऑफ कॉमर्स नेशनल यूनिवर्सिटी चेन्नई
में प्रारंभ किया गया था। उसके बाद उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रहम अली अल हाशमी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पाठ्यक्रम के प्रभारी के रूप में इस विश्वविद्यालय में पत्रकारिता
में डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ किया। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में पत्रकारिता पर
पहली व्यावहारिक पुस्तक 'फन- ए- सहाफत' लिखी थी। ये प्रयास
बहुत लंबे समय तक नहीं चल सके । व्यवस्थित रूप से पत्रकारिता का पाठ्यक्रम 1941 में पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर में प्रो पी पी
सिंह के प्रयत्नों से शुरू किया गया था। प्रतिवर्ष
40 विद्यार्थियों के
बैच के साथ स्नातकोत्तर स्तर का पाठ्यक्रम यहां प्रारंभ किया गया था। भारत विभाजन के
साथ 1947 में इसका कैंप ऑफिस
दिल्ली शिफ्ट हो गया था। प्रो पी पी सिंह ने अमेरिका और इंग्लैंड में पत्रकारिता की पढ़ाई की
थी। आजादी के बाद यह विभाग कुछ समय तक दिल्ली में संचालित हुआ और उसके बाद 1962 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में स्थानांतरित
हो गया।
लगभग 500 पृष्ठों में इन दो विशेषांको में भारत के सभी राज्यों और केंद्र
शासित प्रदेशों के केंद्रीय तथा प्रादेशिक विश्वविद्यालयों के साथ-साथ निजी एवं डीम्ड
विश्वविद्यालय व संस्थानों में मीडिया शिक्षा की शुरुआत व उनके विकास का विस्तृत विवरण
प्रकाशित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में मीडिया शिक्षा,
इस
क्षेत्र में भावी संभावनाओं और समकालीन चुनौतियों के बारे में इन अंको में विश्लेषण
पर एक सामग्री का प्रकाशन किया गया है। मीडिया शिक्षा के विकास में विभिन्न प्रदेशों
के मीडिया कर्मियों व शिक्षकों के योगदान की भी विस्तार से चर्चा की गई है।
प्रो भानावत के अनुसार
'कम्युनिकेशन टुडे' ने अपने प्रकाशन के
25 वर्षों में कोविड-19
एवं मीडिया ,
मीडिया कर्मियों के लिए आचार संहिताओं का
संकलन, इंटरप्ले बिटविन इलेक्ट्रॉनिक
एवं प्रिंट मीडिया, भारत में मीडिया का परिदृश्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार साहित्य संदर्भिका, जर्नलिज्म एंड पीआर एज्युकेशन,
ह्यूमन राइट्स एंड मीडिया आदि विषयों पर केंद्रित
विभिन्न विशेषांकों का समय-समय पर प्रकाशन किया है। 'कम्युनिकेशन टुडे' के अकादमिक योगदान
पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा और लुधियाना
के कृषि विश्वविद्यालय में भी शोध कार्य किया गया है। पब्लिक रिलेशंस काउंसिल ऑफ इंडिया
ने 2011 में इस पत्रिका को चंडीगढ़ में आयोजित अपनी अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस
में एक्सटर्नल मैगजीन कैटेगरी में गोल्डन अवार्ड से भी सम्मानित किया है।