गायक मुकेश की स्मृति में स्वरांजलि कार्यक्रम ‘ये मौसम रंगीन समां.........’ का आयोजन
जयपुर, 29 अगस्त, 2022-
अपनी गायकी से लाखों-करोड़ों संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले गायक मुकेश की 46वीं पुण्यतिथि के अवसर पर जयपुर के बिड़ला सभागार में स्वरांजलि कार्यक्रम ‘ये मौसम रंगीन समां.........’ का आयोजन किया गया। कायस्थ समाज सेवा संस्थान, जयपुर की ओर से आयोजित इस संगीतमय कार्यक्रम में जाने-माने गायक-संगीतकार संजय रायजादा, सीमा मिश्रा और दीपक माथुर के साथ अन्य फनकारों ने मुकेश के गाए सदाबहार नगमे पेश किए और इस तरह अपने अंदाज में मुकेश को श्रद्धांजलि अर्पित की।
युवा कलाकार आयुष माथुर ने 'ओह रे ताल मिले नदी के जल में' गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उनके बाद बाल कलाकार शुभंकर सक्सेना ने ‘किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार’, आध्यात्म और आविर्भाव जगधारी ने ‘सात अजूबे इस दुनिया में’, धीरज श्रीवास्तव ने ‘जो प्यार तूने मुझको दिया है’, दीपक माथुर और डॉ. प्रेरणा ने ‘ये मौसम रंगीन समां ठहर जरा ओ जाने जां’, अतुल माथुर और सुमन माथुर ने ‘महबूब मेरे’, दीपेंद्र माथुर ने ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’, सत्यप्रकाश माथुर ने ‘झूमती चली हवा’, विमलकिशोर माथुर ने ‘जिक्र होता है जब कयामत का’, राकेश माथुर ने ‘चांद को क्या मालूम’ और संजय रायजादा ने ‘जाने कहां गए वो दिन’ जैसे सदाबहार नगमों के जरिये सिने संगीत के सुनहरे दौर को एक बार फिर जीवंत कर दिया। अन्य कलाकारों के साथ मोहित माथुर, रीता माथुर, राजीव माथुर, सुरेंद्रदत्त माथुर, रेणु माथुर, बेला माथुर और राजेश माथुर ने भी अपनी गायकी से श्रोताओं को प्रभावित किया। इस पूरे कार्यक्रम का संगीत निर्देशन आकाशवाणी के संगीतकार दीपक माथुर ने किया।
कायस्थ समाज सेवा संस्थान के अध्यक्ष अनिल माथुर ने बताया कि संस्थान पिछले 16 वर्षों से मुकेश की याद में यह कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इस बार कार्यक्रम के लिए मुकेश के बेटे नितिन मुकेश और पोते नील मुकेश ने भी अपना वीडियो संदेश भेजा और कार्यक्रम की सफलता के लिए कामना की।
प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, राजस्थान फाउंडेशन के कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव और कायस्थ जनरल सभा के अध्यक्ष अनूप बरतरिया भी इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए। खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने ऐसे आयोजनों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि मुकेश जैसे अमर गायकों की याद में ऐसे संगीतमय कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों का संगीत के साथ रिश्ता और गहरा होता है।